1 May 2016

।। सत्संग ।।


।। सत्संग ।।
सत्संग का अर्थ क्या है.?
संतजन कहते है की:- "सत्संग" अर्थात सत् तत्वो का संग, सज्जनो का संग, सद्गुणो का संग, सद ग्रन्थों का संग,सद्विचारों का संग, सत् कर्मो का संग,सदपठन का संग, सदचिंतन का संग, सद श्रवण का संग। ऐसे अनेक सत् तत्व है, प्रत्येक सत्तत्व साक्षात श्रीकृष्ण का स्वरुप है। जिसका संग करने से काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर जैसे दूर्गुणों से छुटकारा मिले। जिसका संग करने से अहंता-ममता छुट जाये तथा दीनता प्राप्त हो। जिसका संग करने से गौरव पूर्ण वैष्णवी जीवन जीने मे सफलता मिले। जिसका संग स्वधर्म का आचरण करने की प्रेरणा दे, तथा जिसका संग करने से, प्रभु के स्वरुप मे प्रेम जाग्रत हो,उसका संग ही सत्संग है। संक्षिप्त मे कहा जाय तो जो संग जीवात्मा को परमात्मा की और ले जाए उसका नाम ही "सत्संग" है।