9 May 2016

सुवचनानि

॥ सुवचनानि ॥
अतिपरिचयादवज्ञा ।
अतिलोभो विनाशाय ।
अतितृष्णा न कर्तव्या ।
अति सर्वत्र वर्जयेत् ।
अधिकस्याधिकं फलम् ।
अनतिक्रमणीया हि नियतिः ।
अल्पश्च कालो बहवश्च विघ्नाः ।
अलभ्यो लाभः ।

8 May 2016

MOTHERS DAY


,બોલતા શીખ્યો તો મારો પેહલો શબ્દ હતો " માં",
સાઈકલ પરથી પડ્યો તો રડીને બોલ્યો " ઓય માંj "
સ્કૂલે જતા જતા રોજ કેહતો "બાઇ બાઇ માં '
મિત્રો ને હમેશાં ખુશીથી કેહતો " આ તો મારી માં"
ભાઈ બેહનો ને જગડી ને કેહતો" મારી એકલાની માં "
કોલેજ થી ફરવા જવું હોય તો કેહતો " પ્લીઝ , માં "
પપ્પા ગુસ્સો કરે તો તુરંત કેહતો " જો ને, માં "
ફોરેન ગયો તો યાદ આવતી " હમેશાં , માં"
સંસારિક મુંજવણ થી ઘેરાયો તો મનમાં કહ્યું " હવે શું થશે માં ?"
પણ તે હમેશાં હિંમત આપીને એમજ કહ્યું " ખમ્માં ખમ્માં"
આજે દિલ ખોલીને કેહવા માંગું છું "ઓરે માં "
ક્યારેય ભૂલથી પણ તારું દિલ દુખાવ્યું હોય તો " માફકરજે માં"
ઝીંદગી ની આખરી ખ્વાઈશ રેહશે કે દર જન્મ મા બને " તૂજ મારી માં"
હે......માં......તને..મારા.... ..કરોડો વંદન.......

7 May 2016

हिन्दू की संस्कृति

हिन्दू की संस्कृति को पहचानें। ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुचायें। खासकर अपने बच्चों को बताए क्योंकि ये बात उन्हें कोई दुसरा व्यक्ति नहीं बताएगा...
           दो पक्ष- कृष्ण पक्ष , शुक्ल पक्ष !
           तीन ऋण - देव ऋण , पितृ ऋण , ऋषि ऋण !
            चार युग - सतयुग , त्रेतायुग , द्वापरयुग , कलियुग !
           चार धाम - द्वारिका , बद्रीनाथ , जगन्नाथ पुरी , रामेश्वरम धाम !
            चारपीठ - शारदा पीठ ( द्वारिका ) ज्योतिष पीठ ( जोशीमठ बद्रिधाम ) गोवर्धन पीठ ( जगन्नाथपुरी ) , शृंगेरीपीठ !

1 May 2016

प्रतिदिन स्मरण योग्य शुभ सुंदर मंत्र। संग्रह

प्रतिदिन स्मरण योग्य शुभ सुंदर मंत्र। संग्रह
   प्रात: कर-दर्शनम्
कराग्रे वसते लक्ष्मी करमध्ये सरस्वती।
करमूले तू गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम्॥
         पृथ्वी क्षमा प्रार्थना
समुद्र वसने देवी पर्वत स्तन मंडिते।
विष्णु पत्नी नमस्तुभ्यं पाद स्पर्शं क्षमश्वमेव॥

मृत्यु से भय कैसा .

मृत्यु से भय कैसा .
राजा परीक्षित को श्रीमद्भागवत पुराण सुनातें हुए जब शुकदेव जी महाराज को छह दिन बीत गए और तक्षक ( सर्प ) के काटने से मृत्यु होने का एक दिन शेष रह गया, तब भी राजा परीक्षित का शोक और मृत्यु का भय दूर नहीं हुआ। अपने मरने की घड़ी निकट आती देखकर राजा का मन क्षुब्ध हो रहा था। तब शुकदेव जी महाराज ने परीक्षित को एक कथा सुनानी आरंभ की।

अक्षय तृतीया जो इस वर्ष 9May को है उसका महत्व क्यों है जानिए कुछ महत्वपुर्ण जानकारी

अक्षय तृतीया जो इस वर्ष 9May को है उसका महत्व क्यों है जानिए कुछ महत्वपुर्ण जानकारी
- आज ही के दिन माँ गंगा का अवतरण धरती पर हुआ था ।
-महर्षी परशुराम का जन्म आज ही के दिन हुआ था ।
-माँ अन्नपूर्णा का जन्म भी आज ही के दिन हुआ था
-द्रोपदी को चीरहरण से कृष्ण ने आज ही के दिन बचाया था ।
- कृष्ण और सुदामा का मिलन आज ही के दिन हुआ था ।
- कुबेर को आज ही के दिन खजाना मिला था ।

।। सत्संग ।।


।। सत्संग ।।
सत्संग का अर्थ क्या है.?
संतजन कहते है की:- "सत्संग" अर्थात सत् तत्वो का संग, सज्जनो का संग, सद्गुणो का संग, सद ग्रन्थों का संग,सद्विचारों का संग, सत् कर्मो का संग,सदपठन का संग, सदचिंतन का संग, सद श्रवण का संग। ऐसे अनेक सत् तत्व है, प्रत्येक सत्तत्व साक्षात श्रीकृष्ण का स्वरुप है। जिसका संग करने से काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर जैसे दूर्गुणों से छुटकारा मिले। जिसका संग करने से अहंता-ममता छुट जाये तथा दीनता प्राप्त हो। जिसका संग करने से गौरव पूर्ण वैष्णवी जीवन जीने मे सफलता मिले। जिसका संग स्वधर्म का आचरण करने की प्रेरणा दे, तथा जिसका संग करने से, प्रभु के स्वरुप मे प्रेम जाग्रत हो,उसका संग ही सत्संग है। संक्षिप्त मे कहा जाय तो जो संग जीवात्मा को परमात्मा की और ले जाए उसका नाम ही "सत्संग" है।
              

सनातन परम्परा के १६ संस्कार

सनातन परम्परा के १६ संस्कार ...

सनातन अथवा हिन्दू धर्म की संस्कृति संस्कारों पर ही आधारित है। हमारे ऋषि-मुनियों ने मानव जीवन को पवित्र एवं मर्यादित बनाने के लिये संस्कारों का अविष्कार किया। धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक दृष्टि से भी इन संस्कारों का हमारे जीवन में विशेष महत्व है। भारतीय संस्कृति की महानता में इन संस्कारों का महती योगदान है।